24 October, 2024

पहाड़ में मेरी माँ

 

पहाड़ों पर धूप चली, माँ खेतों में जाती,
माथे पर पसीना, पर होंठों पर मुस्कान सजाती।
भोर से शाम तक संघर्ष की ये कहानी,
हर पल अपने सपनों को सच बनाती।

No comments:

Post a Comment

MY VISITORS